भारत-पाकिस्तान के सीजफायर बाद पूर्व आतंकवादी से ट्रंप ने मिलाया हाथ! बताया ‘अट्रैक्टिव

डोनाल्ड ट्रंप ने HTS के पूर्व आतंकी नेता अहमद अल-शरा से मुलाकात कर अमेरिकी सीरिया नीति में ऐतिहासिक मोड़ लाया है. यह मुलाकात उस वक्त हुई जब अमेरिका ने सीरिया पर वर्षों पुराने प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की. यह सब इसलिए संभव हो पाया क्योंकि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने ट्रंप से ऐसा करने की अपील की थी. ट्रंप ने मुलाकात के दौरान अहमद अल-शरा के बारे में कहा कि वह एक युवा, आकर्षक, सख्त व्यक्ति है. इस तरह से उन्होंने सार्वजनिक तौर पर पूर्व आतंकी का समर्थन किया. इससे पहले ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा की थी.

डोनाल्ड ट्रंप ऐसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन्होंने एक पूर्व घोषित आतंकी नेता से सार्वजनिक रूप से मुलाकात की है. उन्होंने सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से मुलाकात की, जिन्हें पहले अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाना जाता था. वह कुख्यात आतंकी संगठन हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का प्रमुख रह चुका है, जो कि अल-कायदा से जुड़ा था. इसे अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित किया था.

अल-शरा कौन की जिहादी से अंतरिम राष्ट्रपति बनने तक की कहानी
अल-शरा, जिसे दुनिया अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जानती थी. उसका अतीत चरमपंथी, हिंसा और अमेरिकी सेनाओं के विरुद्ध जंग से जुड़ा रहा है. उसने इराक में अमेरिकी सेनाओं से लड़ाई की है. इसके लिए वह सालों तक अमेरिकी हिरासत में रह चुका है. इसके बाद उन्होंने सीरिया में HTS की स्थापना की थी, जिसका असर ये हुआ है कि उसने  2024 में बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल कर दिया. बाद में कट्टर इस्लामी छवि बदलकर खुद को नेता के रूप में स्थापित कर लिया. उसने खुद को सीरिया की अंतरिम सरकार का प्रमुख घोषित कर लिया. उसका यह परिवर्तन पश्चिमी देशों को विश्वास दिलाने की एक रणनीति माना जा रहा है.

क्या है डोनाल्ड ट्रंप का प्लान?

अमेरिकी सहयोगी देशों ने ट्रंप के इस कदम को ‘सिग्नल कंफ्यूजन’ कहा है. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि यह एक खतरनाक उदाहरण है कि एक पूर्व आतंकवादी को वैध शासन प्रमुख माना जा रहा है. आलोचकों ने इसे “न्याय और सुरक्षा के सिद्धांतों” के साथ विश्वासघात बताया है. हालांकि, दूसरी तरफ ट्रंप के अनुसार यह एक टूटा हुआ देश है और अल-शरा के पास इसे जोड़ने का मौका है. उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन से भी इस पर चर्चा की, जिन्होंने अल-शरा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण साझा किया.

Related Articles

Back to top button