भजनलाल सरकार ने कांग्रेस सरकार का एक और बड़ा फैसला, अब प्रदेश के 305 नगर निकायों के वार्डों का होगा पुनर्गठन

राजस्थान की भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कई फैसलों को बदल दिया है। कई योजनाओं के नाम चेंज कर दिए और कार्यकाल के अंतिम छह माह में लिए गए फैसलों पर लगातार समीक्षा की जा रही है। सत्ता में आने के 1.5 साल बाद भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की ओर से किए गए स्थानीय निकायों के पुनर्गठन के फैसले का भी रिव्यू किया जा रहा है। गुरुवार को हुई अहम बैठक में मंत्री मंडलीय उप समिति ने प्रदेश के सभी 305 स्थानीय निकायों के वार्डों के पुनर्गठन का फैसला लिया है। मंत्रिमंडलीय उप समिति न वार्डों के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है।

मनमर्जी से बना दिए गए वार्ड: मंत्री झाबर सिंह खर्रा

मंत्रिमंडलीय उप समिति बैठक के बाद यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने मनमर्जी से वार्डों का गठन कर दिया था। ना तो क्षेत्रफल का ध्यान रखा गया और ना ही मतदाताओं की संख्या का। कई वार्ड तो ऐसे बना दिए, जहां मतदाताओं की संख्या 500 से भी कम है। उसी वार्ड के पास में पांच हजार से ज्यादा संख्या मतदाताओं वाले वार्ड का गठन कर दिया गया। मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि वार्डों के पुनर्गठन में कांग्रेस सरकार ने निर्धारित मापदंडों का जरा भी ध्यान नहीं रखा गया। ऐसे में वार्डों का पुनर्गठन जरूरी हो गया था। बैठक में जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत, वन राज्य मंत्री संजय शर्मा और सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक मौजूद रहे।

2019 में कांग्रेस ने किया था पुनर्गठन

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के कुछ महीने बाद ही जयपुर, जोधपुर और भरतपुर संभाग सहित अन्य संभागों के नगरीय निकायों का पुनर्गठन करते हुए सीमाकंन बदल दिए गए। नगरीय विकास मंत्री खर्रा ने बताया कि वर्ष 2019 में हुए पुनर्गठन और सीमांकन के दौरान 10 प्रतिशत तक के विचलन का प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने मापदंडों की जमकर अवहेलना की, जिसमें 65 प्रतिशत तक विचलन देखा गया। इतना बदलाव किसी भी तरह से जायज नहीं था।

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