
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार की सरगर्मी के बीच मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पटना में एक अलग ही रंग जमाया। यादव महासभा द्वारा आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में वे न केवल बिहार और मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों को जोड़ने पहुंचे, बल्कि भगवान कृष्ण के गौरवशाली जीवन और भोजपुरी भाषा की महक को भी बिखेर गए।
इस मौके पर उन्होंने मध्य प्रदेश में शुरू किए गए गीता भवन और सांदीपनि विद्यालयों की योजनाओं का जिक्र किया, तो वहीं बिहार को भगवान कृष्ण और सम्राट अशोक की धरती बताकर हर दिल को छू लिया।
पटना के इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय ओबीसी आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, छत्तीसगढ़ के मंत्री गजेंद्र यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव, विधायक संजीव चौरसिया, और कार्यक्रम संयोजक अशोक यादव जैसे दिग्गज मौजूद थे। लेकिन मंच पर CM मोहन यादव की बातें ऐसी थीं कि हर कोई इतिहास, संस्कृति, और भगवान कृष्ण की लीलाओं में खो गया। आइए, इस रोचक और प्रेरक कार्यक्रम की पूरी कहानी जानते हैं।
बिहार और मध्य प्रदेश: सम्राट अशोक से भोजपुरी तक का रिश्ता
CM मोहन यादव ने अपने संबोधन की शुरुआत ऐतिहासिक रिश्तों से की। उन्होंने कहा, “सम्राट अशोक के काल में दो महाजनपद थे-पाटलिपुत्र (पटना) और अवंतिका (उज्जयिनी)। वहां युवराज बैठते थे, और यहां सम्राट। यह हमारा गौरवशाली इतिहास है।” उन्होंने बिहार और मध्य प्रदेश को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धागों से जोड़ा।
लेकिन असली तड़का तब लगा, जब उन्होंने भोजपुरी भाषा का जिक्र किया। CM ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमारा एक और रिश्ता है-भोजपुरी। राजा भोज अपने परिवार के साथ बिहार की धरती पर आए थे। इसलिए भोजपुरी थोड़ी आपकी, थोड़ी हमारी।” यह बात सुनकर सभागार तालियों से गूंज उठा। भोजपुरी को लेकर उनका यह अंदाज न केवल बिहारियों के दिल को छू गया, बल्कि मध्य प्रदेश के गौरव को भी ऊंचा किया।
भगवान कृष्ण की धरती है बिहार
“भगवान कृष्ण के विचारों का सांस्कृतिक सम्मेलन” विषय पर बोलते हुए CM मोहन यादव ने बिहार को भगवान कृष्ण की धरती बताया। उन्होंने कहा, “अगर पूरे देश में किसी राज्य का नाम भगवान कृष्ण के नाम पर है, तो वह बिहार ही है। जब आप ‘गोपाल कृष्ण की जय’ बोलते हैं, तो आनंद दोगुना हो जाता है।” उन्होंने कृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही, जिसमें 11 साल की उम्र में कंस जैसे ताकतवर राक्षस से लड़ने की हिम्मत थी। “यदुकुल गौरव कृष्ण ही ऐसी हिम्मत दे सकते हैं,” उन्होंने जोड़ा।
CM ने भगवान कृष्ण की लीलाओं को समाज के लिए प्रेरणा बताया। उन्होंने कहा, “कृष्ण ने कालिया नाग का मर्दन कर यमुना को शुद्ध किया। यह संदेश था कि समाज के संसाधनों पर सबका हक है। गोपाल नाम लेते ही भगवान आनंद में डूब जाते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि पटना में भगवान कृष्ण के पुत्र ने सूर्य मंदिर बनवाया, जिसने उस युग को जीवंत किया।
मध्य प्रदेश में गीता भवन और सांदीपनि स्कूल: कृष्ण की विरासत को सम्मान
CM मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में अपनी सरकार की योजनाओं का जिक्र किया, जो भगवान कृष्ण की शिक्षाओं और विरासत से प्रेरित हैं। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने हर नगर निगम, नगर पालिका, और नगर परिषद में गीता भवन बनाने का फैसला किया है।” इसके अलावा, उन्होंने बताया कि उज्जैन में सांदीपनि गुरु का आश्रम है, जहां भगवान कृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की थी। इसे सम्मान देने के लिए मध्य प्रदेश में 300 से अधिक सांदीपनि विद्यालय शुरू किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “जहां भगवान की लीलाएं हुईं, उन स्थानों को हम तीर्थ बना रहे हैं। मथुरा, द्वारिका, और उज्जैन की सांस्कृतिक विरासत को संजोया जा रहा है।” यह सुनकर सभागार में मौजूद लोग उत्साहित हो उठे।
राम और कृष्ण: भारत की पहचान
CM ने भारत की वैश्विक पहचान को राम और कृष्ण से जोड़ा। उन्होंने कहा, “आप दुनिया के किसी भी देश में जाएं, अपना देश का नाम न बताएं, बस कहें कि मैं राम और कृष्ण की धरती से आया हूं। लोग तुरंत समझ जाएंगे कि आप हिंदुस्तान से हैं।” उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा, “अयोध्या में भगवान राम मुस्करा रहे हैं। अब जमुना जी के कन्हैया का भी समय आएगा।”
CM ने PM नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा, “मोदी जी ने मुझे, एक सामान्य कार्यकर्ता को, जिसके परिवार में न कोई विधायक था, न सांसद, न मंत्री, मध्य प्रदेश जैसे बड़े सूबे की जिम्मेदारी दी। यह उनका आशीर्वाद है।”
बिहार का गौरव: बुद्ध, जैन, और चाणक्य की धरती
CM ने बिहार के ऐतिहासिक महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “बिहार ने हर युग में देश का ध्यान खींचा। चाहे भगवान बुद्ध का काल हो, जैन समाज के 23 तीर्थंकरों का शिखर जी हो, चाणक्य का समय हो, या नालंदा-तक्षशिला का युग।” उन्होंने सम्राट अशोक के काल को याद करते हुए कहा कि पाटलिपुत्र और उज्जयिनी उस समय के दो सबसे बड़े केंद्र थे।
सियासी माहौल में सांस्कृतिक संदेश
यह कार्यक्रम भले ही सांस्कृतिक था, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव के बीच इसका सियासी महत्व भी कम नहीं था। CM मोहन यादव का यह दौरा BJP की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें यादव समुदाय को एकजुट करने और उनके बीच पार्टी की पैठ बढ़ाने की कोशिश है। लेकिन CM ने अपने संबोधन में सियासत से ज्यादा संस्कृति, धर्म, और एकता पर जोर दिया।
रामकृपाल यादव ने कहा, “CM मोहन यादव ने आज बिहार और मध्य प्रदेश के रिश्तों को मजबूत किया। उनकी बातों में भगवान कृष्ण की प्रेरणा और भोजपुरी की मिठास थी।” वहीं, नंदकिशोर यादव ने कहा, “यह कार्यक्रम बिहार के गौरव को दर्शाता है। BJP सांस्कृतिक और सामाजिक एकता के लिए काम कर रही है।”