
कई गांव जलमग्न होने से बाढ़ जैसे हालात हैं, जिनमें एक है बवानी खेड़ा के मंढाणा गांव. गांव में चारों तरफ पानी ही पानी है. सारी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. परेशान ग्रामीण कह रहे हैं, सरकार मदद करे, वरना हम भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे. गांव में प्रवेश करने वाले सारे रास्ते और सड़कें जलमग्न हो गए हैं. सरकारी स्कूल से लेकर बैंक, अस्पताल और खेल स्टेडियम पानी भरने से बंद पड़े हैं. खेतों का तो हाल और भी बुरा है. कपास और बाजर की फसलें खत्म हो चुकी हैं. पानी भरने से सरकारी स्कूल कई दिनों से बंद है. न बच्चे पढ़ पा रहे हैं, न खेल पा रहे है
दो नहरों और दो ड्रेनों का सेंटर बना हुआ
गांव के लोगों का कहना है कि उनका गांव दो नहरों और दो ड्रेनों का सेंटर बना हुआ है. चारों तरफ से पानी आकर उनके गांव में जमा हो रहा है. बार -बार डीसी के पास गए, पर आश्वासन मिला, लेकिन समाधान नहीं हुआ. ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार ने बाढ़ नियंत्रण के लिए जो करोड़ों रुपये जारी किए, वो हमारे गांव के हिस्से में भी आने चाहिए. ग्रामीणों का कहना है कि आलम ये है कि गांव में मुर्दे फूंकने तक की जगह नहीं बची. ग्रामीणों का कहना है कि 10-20 हजार रुपये मिलने से गुजारा नहीं होगा. सरकार के पैसा घाटा नहीं, एक-एक लाख रुपया प्रति एकड़ सभी को दे
बिजाई संभव नहीं है
यही नहीं, कई ग्रामीणों का कहना है कि अगली फसल की बिजाई संभव नहीं है. उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय है, जिनके बच्चे सरकारी नौकरी या बाहर काम करते है. केवल वही रोटी खा पाएंगी. बाकी के लिए ये फसल बर्बाद होने और अगली की बिजाई संभव न होने से भुखमरी के हालात पैदा होंगे. ऐसे में ये ग्रामीण जल्द गांव से पानी निकासी और आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं. साथ में चेतावनी दे रहे हैं कि मदद न मिली तो सड़क या डीसी कार्यालय पर बैठेंगे. बार-बार की बारिश से कई गांवों में जलभराव हुआ. पर 31 अगस्त और एक सितंबर की मुसलाधार बारिश ने बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए. ऐसे में चारों तरफ गांव डूबे हुए हैं. प्रशासन के पास भी इस पानी को कहीं उतारने का ऑप्शन नहीं. ऐसे देखना होगा कि बिना पानी निकाले सरकार और प्रशासन ग्रामीणों को कैसे और क्या मदद या सहयोग करते हैं. ताकि इनका जीवनयापन सही से चलता रहे