
दिल्ली में होटल-रेस्टोरेंट को अब पुलिस से अलग लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी. BJP सरकार ने 25 साल पुरानी मांग पूरी की. व्यापारियों को इससे ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में बढ़ावा मिलेगा.
दिल्ली में बीजेपी सरकार बनने के महज 4 महीने बाद ही ‘ईज ऑफ बिजनेस’ के मोर्चे पर एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है. होटल, मोटल, रेस्टोरेंट और मनोरंजन स्थलों से जुड़े कारोबारियों को अब दिल्ली पुलिस से अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी. यह निर्णय व्यापारियों की 25 साल पुरानी मांग को पूरा करता है, जिसे लंबे समय से अनदेखा किया जा रहा था.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि फरवरी 2025 में बनी बीजेपी सरकार लगातार अपने चुनावी संकल्प पूरे कर रही है और इससे दिल्ली के हर वर्ग, विशेषकर व्यापारी वर्ग में उत्साह और संतोष देखा गया है. उन्होंने इसे ‘ट्रिपल इंजन’ यानी केन्द्र, राज्य और नगर निगम में एक जैसी सरकार का प्रत्यक्ष लाभ बताया.
पूर्ववर्ती सरकारों ने नहीं उठाए ठोस कदम – वीरेन्द्र सचदेवा
वीरेन्द्र सचदेवा ने कहा कि, 1997 के उपहार अग्निकांड के बाद शुरू हुई कानूनी प्रक्रिया में बार-बार सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से जारी किए जाने वाले अतिरिक्त लाइसेंस को अनुचित हस्तक्षेप बताया था. इसके बावजूद पूर्ववर्ती कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सरकारों ने इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
बीजेपी की सरकार ने 20 फरवरी को सत्ता में आते ही इस मुद्दे को उपराज्यपाल और केन्द्र सरकार के समक्ष रखा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की स्वीकृति के बाद अब यह बाध्यता समाप्त कर दी गई है. यह कदम न केवल व्यवसायियों के लिए बड़ी राहत है, बल्कि यह ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के उस वादे की ओर एक ठोस कदम है, जिसकी उम्मीद दिल्लीवासी लंबे समय से कर रहे थे.
ये जिम्मेदारी नगर निगम और संबंधित विभागों को सौंप दी गई
बता दें कि अब तक दिल्ली में होटल, रेस्टोरेंट, स्वीमिंग पूल, ऑडिटोरियम, मनोरंजन पार्क और यहां तक कि वीडियो गेम पार्लर तक को चलाने के लिए पुलिस से लाइसेंस लेना पड़ता था. ये प्रक्रिया न सिर्फ समय लेने वाली थी, बल्कि कई बार व्यापारी इसके चलते दबाव महसूस करते थे. अब ये जिम्मेदारी नगर निगम और संबंधित विभागों को सौंप दी गई है, जिससे व्यापार की राह थोड़ी और आसान हो जाएगी.