दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ने कहा- ट्रैक पर जम गए, दौड़ने में थोड़ा वक्त लगेगा; रफ्तार पूरी होगी

विपक्ष को कुछ तो काम चाहिए, इसलिए खोखली चुनौतियां पेश करते रहते हैं। वरना वे क्या ही बोलेंगे।

सत्ता में लौटी भाजपा के सामने चुनावी वादों को पूरा करने की बड़ी चुनौती है। वह भी आप सरीखे विपक्ष के सामने, जिसने भाजपा सरकार बनने के पहले दिन से ही महिला सम्मान योजना, बिजली-पानी कटौती समेत दूसरे मसलों पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। साथ में भाजपा के आला नेतृत्व की भी दिल्ली की सत्ता पर नजर है। स्पष्ट है कि दिल्ली के विकास का खाका जमीन पर उतारने का नई सरकार पर दोहरा दबाव है। इसमें उसे लोगों की उम्मीदों पर भी खरा उतरना है। नई सरकार के सामने सवाल बहुत से हैं, जिनके जवाब तलाशने के लिए अमर उजाला के विशेष संवाददाता नवनीत शरण ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से विस्तार से बात की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश….

दिल्ली के विकास की क्या योजना है? यह मूर्त रूप कब तक लेगी?
अगर बजट की सबसे बड़ी खासियत की बात करें तो मुझे लगता है कि हमने भविष्य की दिल्ली की एक नई बुनियाद रखी है। दिल्ली में आज जो सबसे बड़ी समस्या नजर आती है, वह है दिल्ली में बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी। बाकी देश के मुकाबले दिल्ली को सबसे पीछे देखती हूं। यहां का आधारभूत ढांचा दिल्ली के हिसाब से नहीं है। 700 झुग्गी क्लस्टरों में रहने वाले लाखों लोगों के पास शौचालय तक नहीं हैं। बहन-बेटियों के नहाने के लिए जगह नहीं है। फ्लाईओवर के नीचे व सड़क किनारे आज भी लोग तंबू डालकर रहते हैं। सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं। बारिश में पानी सड़कों पर जमा होता है। देश की राजधानी की यह हालत देखकर शून्य से शुरू करने जैसी स्थिति महसूस होती है। बजट में हर मद में खर्च का प्रावधान किया है। अब हम तेजी से इस शहर के हालात बदलने में जुटे हैं।

जब से सीएम का पदभार संभाला है, आप जनता के बीच में है। समस्याओं का निदान कब तक होगा?
दिल्ली की जनता की हमसे बड़ी-बड़ी डिमांड नहीं हैं। मसलन, पीने का साफ पानी मिले, सड़कों में गड्ढे न हों, जाम न हो, सीवर ओवरफ्लो न हों, बारिश में सड़कों पर पानी न भरे, हरियाली के लिए सड़कों पर पौधे लगे हों। इसमें क्या बड़ी बात है? अगर आजादी के 75 साल बाद भी देश की राजधानी के लोगों को छोटी-छोटी जरूरतों के लिए भी इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है तो ये चुनौती है कि मैं अपने काम को यहां से शुरू कर ऊपर तक लेकर जाऊं। वायु प्रदूषण की स्थिति देखिए, मुझे लगता है कि 10-15 वर्षों में ठीक से काम होता तो दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर नहीं होती। मुझे ये सभी चीजें चुनौती लगती हैं।

एक लाख करोड़ रुपये का बजट पहली बार पेश किया गया। घोषणाओं पर जनता कैसे विश्वास करे?
दिल्ली के विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया है। दिल्ली को पीएम मोदी पर यकीन है। दिल्ली में जो सरकार बनी, वह उन्हीं के नेतृत्व में बनी है। हम सभी उनकी टीम के सदस्य हैं। लोगों को विश्वास है कि पीएम के नेतृत्व में देश जिस तरह तरक्की कर रहा है, उसी तरह दिल्ली का भी विकास होगा और इसका खाका हमने बजट में खींच दिया है। ये बजट केवल एक वार्षिक आर्थिक योजना नहीं, बल्कि इस नगर के पुनर्निर्माण की एक दूरदर्शी रूपरेखा के रूप में तैयार किया गया है।

100 दिन में कौन-कौन सी योजना दिल्ली की जनता जमीन पर उतरती देखेगी?
वादों की नहीं, इरादों की दिल्ली को साकार करने का संकल्प है। प्रस्तुत बजट का उद्देश्य एक स्वच्छ, हरित और सुव्यवस्थित राजधानी का निर्माण करना है। सरकार की मंशा ठीक है और इसलिए जैसे दिल्ली को पीएम विश्वास है, वैसे ही उनके नेतृत्व में चलने वाली दिल्ली सरकार भी सही दिशा में आगे बढ़कर दिल्ली का भरोसा मजबूत करेगी।

विपक्ष से क्या चुनौती आपको मिल रही है?
विपक्ष को कुछ तो काम चाहिए, इसलिए खोखली चुनौतियां पेश करते रहते हैं। वरना वे क्या ही बोलेंगे। उन्हें मालूम है कि दिल्ली का खजाना खाली करके गए हैं। हम ट्रैक पर जम गए हैं, दौड़ने में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन रफ्तार पूरी होगी।

जाम व सड़कों को सुधारने के लिए क्या खाका तैयार किया है?
दिल्ली में सड़के पीडब्ल्यूडी व अन्य कई एजेंसियों के पास हैं। सभी एजेंसियों को एक प्लेटफार्म पर लाकर एकीकृत रोडमैप तैयार किया गया है। हमें यह समस्या नहीं है कि किसकी एजेंसी है, तो किस पर आरोप लगाना है। हमने तय कर दिया है कि सभी एजेंसियां एक प्लेटफार्म पर काम करेंगी। सभी को लक्ष्य दिए गए हैं कि कितने समय में काम पूरा करना है। इसकी निगरानी भी होगी और सभी काम समय से पूरे भी किए जाएंगे।

यमुना को लेकर सरकार का एक्शन प्लान क्या है?
यमुना हमारे लिए पूज्य है और दिल्ली की जीवनरेखा है। यह सही है कि पदभार संभालते ही यमुना को निर्मल बनाने के लिए काम शुरू कर दिया है और आगे आप इस काम में और तेजी देखेंगे। यमुना पुनर्जीवन प्लान के माध्यम से जीवनदायिनी यमुना को साफ करने और दिल्ली को जल संकट से उबारने के लिए सरकार ने अभूतपूर्व रूप से 9 हजार करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया है। इससे यमुना को स्वच्छ करने और किनारों को संवारने के लिए एक ठोस योजना कार्यान्वित होगी। इसके लिए 40 नए विकेंद्रीकृत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थापना की जाएगी, ताकि गंदा पानी सीधे यमुना में न जाए। नालों को टैप करने की व्यवस्था की जाएगी, ताकि अनुपचारित जल के प्रवाह को रोका जा सके। जर्जर हो चुके पुराने प्लांट का आधुनिकीकरण किया जाएगा।

दिल्ली में प्रदूषण और कूड़े के पहाड़ बड़ी समस्या है। कैसे सुधारेंगी?

दिल्ली में प्रदूषण के कई कारण हैं। सड़क परिवहन, धूल और आसपास के राज्यों से पराली इत्यादि के रूप में भी दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है। हमें हर दिशा में काम करना होगा। हम सड़कों के गड्ढे भरने पर काम करेंगे और स्प्रिंकलर्स, स्मोक गन लगाकर धूल से होने वाले प्रदूषण पर भी नियंत्रण करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही, परिवहन से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए दिल्ली के पूरे सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक करने के प्रयास कर रहे हैं। वर्ष 2026 तक 11 हजार बसें सड़कों पर होंगी। जरूरत पड़ेगी तो बाहरी शहरों से आने वाले निजी व सार्वजनिक परिवहन के लिए भी आवश्यक नियम तय करेंगे। प्रदूषण पैदा करने वाले वाहनों की पहले जांच जरूरी है, इसके लिए भी योजना बनेगी। पीपीपी मॉडल से बिना एक भी पैसा खर्च किए ट्रैफिक जंक्शन पर 500 नए कैमरे लगाएं जाएंगे, ताकि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की ठीक से निगरानी हो सके। सरकार पूरे 12 महीने प्रदूषण रोकने पर काम करेगी। कूड़े के पहाड़ों को लेकर पिछली सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। अगर वो स्वच्छ भारत मिशन के एक पैसे का ही सही उपयोग करते तो दिल्ली के कूड़े के पहाड़ों की समस्या से निजात की दिशा में आगे बढ़ती। अब हम इस दिशा में सही कदम उठाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं।

बतौर मुख्यमंत्री दिल्ली को लेकर पांच बड़ी चुनौतियां और प्राथमिकताएं क्या हैं?
जो दिल्ली की जनता की प्राथमिकताएं हैं, वही मेरी भी हैं। यमुना की सफाई, निर्बाध बिजली आपूर्ति, पीने का साफ पानी, सीवर और नालों को ओवरफ्लो होने से रोकना, दिल्ली एकदम साफ सुथरी बनाना व दिल्ली की सड़कें बेहतर बनाना ही लक्ष्य है।

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