भारत को डरा रहा है डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ, GDP की बढ़ती रफ्तार के सामने आ रहा अमेरिका

 भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पिछले एक दशक में तेजी से बढ़े हैं. 2014 में भारत का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस 17 बिलियन डॉलर था, जो 2024 में 35 बिलियन डॉलर (भारत की GDP का 1.0 फीसदी) हो गया.

डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की टैरिफ (Tariff) नीतियां अब भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बनती जा रही हैं. गोल्डमैन सैक्स की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका द्वारा प्रस्तावित टैरिफ में बढ़ोतरी से भारत की GDP ग्रोथ पर 0.1 से 0.6 फीसदी तक का असर पड़ सकता है.

रिपोर्ट में क्या है?

टाइम्स ऑफ इंडिया पर छपी खबर के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी अंतिम मांग के लिए भारत की घरेलू गतिविधि का एक्सपोजर लगभग दोगुना (जीडीपी का 4.0 फीसदी) होगा, क्योंकि भारत का एक्सपोर्ट अन्य देशों के जरिए अमेरिका तक पहुंचता है. इससे घरेलू जीडीपी ग्रोथ पर 0.1 से 0.6 प्रतिशत तक का प्रभाव पड़ सकता है. इसके अलावा, अगर अमेरिकी प्रशासन सभी आयातों पर टैरिफ बढ़ाने का फैसला करता है, तो भारतीय आयातों पर अमेरिकी टैरिफ दर में 6.5 फीसदी की वृद्धि हो सकती है.

ट्रंप का ‘फेयर एंड रिसीप्रोकल प्लान’

13 फरवरी को, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी टीम को एक “फेयर एंड रिसीप्रोकल प्लान” तैयार करने के निर्देश दिए. इस प्लान के तहत, अमेरिका अन्य देशों के टैरिफ, टैक्स और नॉन-टैरिफ बाधाओं को समान स्तर पर लाने की रणनीति बना रहा है. ट्रंप ने भारत, यूरोपीय यूनियन और चीन का विशेष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है.

भारत-अमेरिका व्यापार संबंध

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंध पिछले एक दशक में तेजी से बढ़े हैं. 2014 में भारत का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस 17 बिलियन डॉलर (भारत की GDP का 0.9 फीसदी) था, जो 2024 में 35 बिलियन डॉलर (भारत की GDP का 1.0 फीसदी) हो गया.

इसका मुख्य कारण 2020 में शुरू की गई PLI योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में बढ़ता ट्रेड सरप्लस है. हालांकि, भारत की टैरिफ दरें अमेरिका की तुलना में अधिक हैं, खासकर एग्रीकल्चर, टेक्सटाइल और फार्मा प्रोडक्ट्स में.

अमेरिका कैसे बढ़ा सकता है टैरिफ

देश-स्तरीय रेसिप्रोसिटी, इसके तहत अमेरिका सभी आयातों पर टैरिफ बढ़ा सकता है. इससे भारतीय आयातों पर अमेरिकी टैरिफ दर में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि होगी. उत्पाद-स्तरीय रेसिप्रोसिटी, इसमें अमेरिका कुछ चुनिंदा प्रोडक्ट्स पर टैरिफ दरों को समान करेगा.

इससे भारतीय आयातों पर टैरिफ दर में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है. इसके अलावा, गैर-टैरिफ बाधाओं को शामिल करना (Reciprocity Including Non-Tariff Barriers). इसमें प्रशासनिक बाधाएं, इंपोर्ट लाइसेंसिंग और एक्सपोर्ट सब्सिडी जैसे पहलू शामिल होंगे. इसे लागू करना सबसे कठिन होगा, इसलिए फिलहाल इसे रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है.

GDP को कितना नुकसान?

भारत की अमेरिकी एक्सपोर्ट पर निर्भरता GDP का 2 फीसदी है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम मानी जाती है. लेकिन अगर अमेरिका 11.5 फीसदी अंक तक टैरिफ बढ़ाता है, तो भारत की GDP 0.12 फीसदी अंक तक घट सकती है. अगर अमेरिका सभी देशों पर समान टैरिफ लागू करता है, तो 6.5 से 11.5 प्रतिशत अंक की टैरिफ वृद्धि से भारत की GDP 0.1 से 0.6 प्रतिशत अंक तक प्रभावित हो सकती है.

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