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मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर को जोड़ने वाले नए 200 मीटर लंबे ब्रिज का उद्घाटन किया और इसे ‘सम्राट अशोक ब्रिज’ नाम दिया. प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर को जोड़ने वाले नए ब्रिज का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इसका नामकरण भी कर दिया. इस ब्रिज को सम्राट अशोक ब्रिज के नाम से जाना जाएगा. इसके पीछे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने बड़ी वजह भी बताई.
महाकालेश्वर मंदिर को शक्तिपथ से जोड़ने वाले इस 200 मीटर लंबे और 9 मीटर चौड़े ब्रिज का निर्माण 22 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. स्मार्ट सिटी के सीईओ संदीप शिवा के अनुसार, यह ब्रिज महाकाल लोक की थीम पर डिजाइन किया गया है, जो श्रद्धालुओं को एक भव्य आध्यात्मिक अनुभव देगा.
इस पुल के निर्माण से महाकालेश्वर मंदिर आने वाले भक्तों को महाशिवरात्रि और अन्य त्योहारों पर बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि इससे भीड़ प्रबंधन में सहायता मिलेगी और मंदिर समिति व जिला प्रशासन को व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी.
अशोक का उज्जैन से गहरा नाता था – मोहन यादव
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ब्रिज का उद्घाटन करते हुए कहा कि सम्राट अशोक का उज्जैन से गहरा नाता था, लेकिन बहुत से लोग इस ऐतिहासिक तथ्य से अनजान हैं. उन्होंने कहा, “महाकालेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालु इस ब्रिज का नाम देखकर उज्जैन और सम्राट अशोक के ऐतिहासिक संबंध को समझ सकेंगे.”
मुख्यमंत्री ने इस पुल का नामकरण करने से पहले वहां मौजूद जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों से भी राय ली, जिसके बाद सम्राट अशोक ब्रिज नाम को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया. ब्रिज के उद्घाटन समारोह को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए शंखनाद, ढोल, डमरू और भव्य आतिशबाजी का आयोजन किया गया. मुख्यमंत्री मोहन यादव का स्वागत बटुकों (युवा ब्राह्मणों) द्वारा डमरू बजाकर किया गया. इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे.
इस ब्रिज के खुलने से अब श्रद्धालु अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित तरीके से महाकालेश्वर मंदिर पहुंच सकेंगे, जिससे उनके धार्मिक अनुभव को और अधिक सुगम बनाया जा सकेगा.