ओडिशा के मालकानगिरी जिले में चित्रकोंडा वन विभाग ने एक टन (एक हजार किलो) कछुआ जब्त किया है और दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। कछुओं को आन्ध्र प्रदेश से मालकानगिरी लाया जा रहा था। वन विभाग को पहले से ही इस तस्करी की जानकारी मिली थी जिसके बाद टीम ने पिकअप वैन को रोककर कछुओं को बचाया।
ओडिशा के मालकानगिरी जिला चित्रकोंडा वन विभाग ने एक दो नहीं बल्कि एक टन (एक हजार किलो) कछुआ जब्त किया है। इसके साथ ही दो तस्करों को भी गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार दोनों तस्कर का नाम संजीव बेपारी एवं प्रश्नजीत गरामी है।
चित्रकोंडा वन अधिकारी के कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक एक पिकअप वैन में इन कछुओं को आन्ध्र प्रदेश नरसिंहपाटणा से मालकानगिरी के कालीमेला एवं एमवी 79 को लिया लिया जा रहा था। इस संदर्भ में वन विभाग को पहले से विशेष सूत्रों से जानकारी मिली थी। इसके बाद चित्रकोंडा रेंजर बलराम नायक एवं फारेस्टर निरंजन सारका के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया।
यह टीम चित्रकोंडा सीमान्त राजूलकोण्डा गांव के पास उक्त मार्ग से गुजरने वाले वाहनों की जांच तलाशी शुरू की। तभी एक पिकअप वैन आयी जिसमें बोरे में भरकर कछुओं को रखा गया था। इस पिकअप वैन का नंबर (एनएस 1566) है जो कि आन्ध्र प्रदेश की है।
तलाशी ली गई तो गाड़ी में कछुआ होने की बात पता चली। कुल 35 बोरे में कछुओं को रखा गया था।चित्रकोंडा वन विभाग की टीम ने इन पिकअप वैन के साथ कछुओं को जब्त कर लिया। पिकअप वैन के ड्राइवर एवं अन्य एक तस्कर को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ की जा रही है कि आखिर इतनी संख्या में कछुए कहां से पकड़े और कहां लेकर जा रहे थे।
इनके साथ और कितने लोग मिले हुए हैं।वन विभाग ने कहा है कि पिकअप वैन से 489 कछुओं को बचाया गया है जिनका वजन लगभग एक हजार किलोग्राम है। चित्रकोंडा रेंजर बलराम नायक का कहना है कि इन कछुओं को मालकानगिरी जिले के एमवी-79 इलाके में चालान किया जा रहा था। गिरफ्तार दोनों तस्करों का नाम संजीव बेपारी एवं प्रश्नजीत गरामी है।इन कछुआ तस्कर गिरोह में कौन-कौन लोग शामिल हैं, उसकी जांच की जाएगी।
गौरतलब है कि कछुआ के नाखूनों, पैर, गर्दन और दांत के साथ की जाने वाली तंत्र साधनाएं धन प्राप्ति के लिए अचूक साबित होती हैं।जो धनतेरस के दिन से दीपावली की रात्रि तक किए जाते हैं।तांत्रिकों के अनुसार कछुए के उन अंगों को धन रखने की जगह रखने से समृद्धि आती है।
कछुए को भाग्य का प्रतीक भी माना जाता है।इनको पालने से भाग्य बदल जाता है।ऐसे में इन्हें घरों में पालने को लेकर मांग अधिक होती है।लोग इन्हें घरों में पालने को लेकर बड़ी रकम खर्च करने में गुरेज नहीं करते हैं।इसके अलावा इन कछुओं का प्रयोग यौनशक्ति बढ़ाने वाली दवा बनाने में भी प्रयोग किया जाता है।
इन वजहों से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी अच्छी खासी मांग होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक कछुए की कीमत 15 हजार से लेकर 25 हजार रुपये तक होती है।