
कांग्रेस के सीनियर नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि हम यहां खुद से नहीं आए हैं. हमें हमारे राजनीतिक दलों ने भेजा है.
कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ऑल पार्टी डेलीगेशन का हिस्सा हैं. विदेश में दिए उनके बयानों की देश में चर्चा है. इस बीच मलेशिया की राजधानी क्वालालंपुर में उन्होंने कहा कि लेकिन जब हम यहां आते हैं तो हमें एकजुट होकर बोलना होता है. उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सरकार और विपक्ष के बीच कोई मतभेद नहीं है. चाहे कोई कहे या न कहे, इस पर एकमत हैं.
हमें हमारे दलों ने भेजा है- खुर्शीद
कांग्रेस के सीनियर नेता ने कहा कि हम यहां पर खुद से नहीं आए हैं. हम यहां इसलिए हैं क्योंकि हमारे राजनीतिक दलों ने हमें भेजा है. उन्होंने इसके नतीजों पर विचार किया होगा कि जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिए.
‘हम सभी को अपनी पार्टी के पास लौटना है’
न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में सलमान खुर्शीद ने आगे कहा, “अगर कोई मतभेद हैं भी तो उन्हें भारत में ही जाहिर किया जाना चाहिए. हम यहां नीतियां नहीं बना सकते, इतिहास नहीं बदल सकते और राजनीतिक विचारधारा नहीं बदल सकते. हर कोई अपनी विचारधारा को संजोकर रखता है. मुझे उम्मीद है कि सरकार भी इसे समझती है कि हम सभी को अपने-अपने दलों के पास लौटना है और वही करना है जो हमारे दल हमसे अपेक्षा रखते हैं.”
हमें हमारे दलों ने भेजा है- खुर्शीद
कांग्रेस के सीनियर नेता ने कहा कि हम यहां पर खुद से नहीं आए हैं. हम यहां इसलिए हैं क्योंकि हमारे राजनीतिक दलों ने हमें भेजा है. उन्होंने इसके नतीजों पर विचार किया होगा कि जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिए.
‘हम सभी को अपनी पार्टी के पास लौटना है’
न्यूज़ एजेंसी ANI से बातचीत में सलमान खुर्शीद ने आगे कहा, “अगर कोई मतभेद हैं भी तो उन्हें भारत में ही जाहिर किया जाना चाहिए. हम यहां नीतियां नहीं बना सकते, इतिहास नहीं बदल सकते और राजनीतिक विचारधारा नहीं बदल सकते. हर कोई अपनी विचारधारा को संजोकर रखता है. मुझे उम्मीद है कि सरकार भी इसे समझती है कि हम सभी को अपने-अपने दलों के पास लौटना है और वही करना है जो हमारे दल हमसे अपेक्षा रखते हैं.”
‘एकजुटता देश के लिए लाभदायक’
इसके आगे उन्होंने कहा, “लेकिन मुझे नहीं लगता कि हमने जो किया है उसमें कोई विरोधाभास या अफसोस की बात है. एकजुटता देश के लिए लाभदायक है. जैसा कि मैं बार-बार कहता हूं कि देश पहले है और वही सबसे महत्वपूर्ण है. अगर किसी की सोच यह नहीं है, तो मैं उसके बारे में कुछ नहीं कह सकता.”
‘आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती’
इसके साथ ही उन्होंने भारत की तरफ से किए गए सैन्य कार्रवाई और सिंधु जल समझौते को लेकर लिए गए फैसलों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस फैसलों के क्या नतीजे होंगे ये तो भविष्य ही बताएगा. हमने साफ कहा है कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती.