
उत्तराखंड सरकार राज्य में आपदा प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए एक नई नीति लागू करेगी, जिसके तहत पीड़ितों को मौजूदा आपदा मोचन निधि से अधिक आर्थिक सहायता मिलेगी।
उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावितों के पुनर्वास और विस्थापन के लिए नई नीति बनेगी। इसके बाद पीड़ितों को राष्ट्रीय व राज्य आपदा मोचन निधि के तय मानकों से अधिक आर्थिक मदद दी जा सकेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अफसरों को आपदा के प्रति संवेदनशीलता को आधार बनाते हुए और व्यावहारिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पुनर्वास नीति बनाने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड में आपदाओं ने दिए गहरे जख्म
उत्तरकाशी के धराली, स्यानाचट्टी, चमोली में थराली और पौड़ी के कुछ गांवों को इस बार आपदा ने गहरे जख्म दिए हैं। धराली का बड़ा हिस्सा खीरगंगा की बाढ़ में बर्बाद हो गया। थराली में मलबे ने लोगों की रोजी-रोटी पर बड़ी चोट की है। आपदा प्रबंधन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आपदा से इस बार जिस तरह के नुकसान देखने को मिले हैं, उसके सापेक्ष केंद्र और राज्य के वर्तमान राहत, पुनर्वास मानक तथा मदद अपर्याप्त साबित हो रहे हैं।
इसी वजह से पहले भी सरकार ने जोशीमठ में भूधंसाव होने पर प्रभावितों को राहत और पुनर्वास के लिए अलग से नीति बनाकर मानक तय किए थे। उसी तर्ज पर अब सरकार धराली, थराली, स्यानाचट्टी और पौड़ी के लिए पुनर्वास पैकेज बनाने जा रही है। प्रदेश सरकार का मानना है कि हर बार अलग पैकेज बनाने से बेहतर है कि पूरे राज्य में एक समान नीति लागू कर दी जाए। जिससे आपदा प्रभावितों को जल्द से जल्द और अपेक्षित राहत सुनिश्चित कराई जा सके।
क्या बोले सीएम धामी?
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार की कोशिश है कि आपदा प्रभावितों को अधिक से अधिक सहायता मुहैया कराई जाए। इसके लिए प्रदेश की पुनर्वास नीति को और व्यावहारिक बनाया जा रहा है। इसके जरिए आपदा प्रभावितों को तात्कालिक मदद देने और उन्हें दोबारा से मुख्यधारा से जुड़ने में कुछ आसानी होगी। अधिकारियों को राज्य के वर्तमान परिप्रेक्ष्य के अनुसार व्यावहारिक पहलुओं का ध्यान रखते हुए मानक बनाने के निर्देश दिए गए हैं।