पूर्व की गहलोत सरकार में बने 17 नए जिलों में से 9 जिले को खत्म करने के निर्णय के साथ राजस्थान में अब जिलों की संख्या घटकर 41 हो गई है। लेकिन सरकार के इस निर्णय के बाद दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है। इसी कड़ी में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने क्या कुछ कहा, आइये जानते है… भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने गहलोत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि गहलोत अपनी अल्पमत सरकार को सहयोग करने वाले विधायकों को खुश करने के लिए आनन-फानन में नए जिलों की घोषणा कर दी थी। इतना ही नहीं, गहलोत ने पूर्व सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में समिति तो गठित की, लेकिन नए जिलों की घोषणा के बाद स्वयं रामलुभाया ने आश्चर्य व्यक्त किया था। इसका मतलब साफ है कि गहलोत ने समिति को भी अंधेरे में रखकर विधायकों को खुश करने के लिए जिलों की रेवडियां बांटी थी ताकि उनकी अस्थिर सरकार को सहारा मिल सकें। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि भाजपा सरकार ने सभी जिलों की समीक्षा करने के बाद भूपपूर्व प्रशासनिक अधिकारी ललित के पंवार की अध्यक्षता में समिति का गठन किया। मंत्रीमंडल की समिति बनाई और इनकी रिपोर्ट के बाद कैबिनेट बैठक में 9 जिलें एवं 3 संभाग समाप्त करने का प्रस्ताव किया है। समिति के साथ भाजपा सरकार ने राजस्थान की भौगोलिक, सांस्कृतिक और जनसंख्या के आधार पर जनता की मांग को देखते हुए 41 जिले और सात संभाग रखने का फैसला किया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि गहलोत सरकार ने नए जिले तो घोषित कर दिए, लेकिन उन जिलों को चलाने के लिए ना तो आर्थिक प्रबंधन किया और ना ही उनके कार्यालय संसाधन आदि की व्यवस्था की। गहलोत तो 5 साल तक सरकार बचाने में जुटे रहे।सचिन पायलट के बीच शीत युद्ध जनता के सामने है। गहलोत और पायलट दोनों अपने खेमों के विधायकों को लेकर होटलों में कैम्प चलाते रहे। ऐसे में गहलोत विधायकों को संतुष्ट करने में जुटे रहे और गहलोत सरकार ने बिना गहन चिंतन किये चुनावी आचार संहिता लगने से एक दिन पूर्व अचानक नए जिलों की घोषणा कर दी। गहलोत ने ऐसे भी नए जिले बना दिए जिसकी कभी किसी ने कोई मांग तक नहीं की।