हैदराबाद में जंगल नष्ट करने पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- उसी जगह पर अस्थायी जेल बना कर अधिकारियों को करेंगे बंद

हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास 400 एकड़ क्षेत्र में फैले जंगल को राज्य सरकार विकास प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल करना चाहती है, जिसका यूनिवर्सिटी के छात्र और पर्यावरण प्रेमी विरोध कर रहे हैं. हैदराबाद के कंचा गचीबाउली में 100 एकड़ क्षेत्र में जंगल नष्ट किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को जंगल को वापस पुरानी हालत में लाने का एक्शन प्लान बताने को कहा है. कोर्ट ने कहा है कि अगर राज्य के अधिकारियों ने किसी विकास प्रोजेक्ट या दूसरी बातों का हवाला देकर पेड़ों को लगाने का विरोध किया, तो उन्हें उसी जगह पर अस्थायी जेल बना कर बंद किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच इस बात पर काफी नाराज आई कि जंगल कटने से बेआसरा हुए हिरणों और मोरों को आवारा कुत्ते परेशान कर रहे हैं. जजों ने तेलंगाना के वाइल्ड लाइफ वार्डन से तुरंत इन वन्य पशुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने को कहा. हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास 400 एकड़ क्षेत्र में फैले जंगल को राज्य सरकार विकास प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल करना चाहती है. यूनिवर्सिटी के छात्र और पर्यावरण प्रेमी इसका विरोध करते रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में जब छुट्टियां थीं, तब अचानक वहां बुलडोजर पहुंच गए. जब तक लोग सक्रिय हो पाते, लगभग 100 एकड़ जंगल पर बुलडोजर चल चुका था. 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए वहां किसी भी गतिविधि पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी कहा था कि वह वनों के संरक्षण पर अपने 1996 के फैसले का उल्लंघन करने के लिए तेलंगाना की मुख्य सचिव को जेल भेजेगा. 16 अप्रैल को राज्य सरकार की पैरवी करने के लिए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए. उन्होंने कहा कि पूरे मामले को बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है. 
जज सिंघवी की बातों से सहमत नहीं हुए. उन्होंने कहा कि वह नौकरशाहों की तरफ से अपने बचाव में कही जा रही इन बातों को नहीं सुनेंगे. निजी पेड़ों को काटने के लिए भी मंजूरी लेनी पड़ती है. यहां कागजी अनुमति दिखा कर 100 एकड़ जंगल को नष्ट कर दिया गया. कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया इसलिए, सबसे पहले अधिकारी यह बताएं कि वह उस जगह को पुरानी स्थिति में कैसे लाएंगे.

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