कांग्रेस पार्टी शुरुआत से ही जल समझौते की शर्तों पर सवाल उठा रही है. अशोक गहलोत कई बार भाजपा से MoU को सार्वजनिक करने की मांग कर चुके हैं. लेकिन अभी तक उनकी मांग नहीं मानी गई है. इसी क्रम में अब डोटासरा ने राजस्थान सरकार पर हमला बोला है. राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) ने शुक्रवार रात ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए यमुना जल समझौते (Yamuna Water Agreement) को ‘राजस्थान के साथ छल’ करार दिया. उन्होंने लिखा, ‘MoU में राजस्थान के हितों को गिरवी रखकर हरियाणा को मालिक बनाने वाली भाजपा सरकार शेखावाटी की जनता को भ्रमित करके थोथी वाह-वाही लूटना चाहती है. सच्चाई ये है कि 17 फरवरी 2024 को राजस्थान और हरियाणा के बीच नए सिरे से DPR बनाने के लिए हुए MoU में 1994 के मूल समझौते की शर्तों का उल्लंघन और राजस्थान के हितों का आत्मसमर्पण है.’
‘हरियाणा की मनमर्जी के आगे घुटने टेके’
पीसीसी चीफ ने बताया, ‘नए समझौते के अनुसार, हरियाणा को पहले 24000 क्यूसेक पानी मिलेगा. उसके बाद यदि पानी बचेगा या बारिश के मौसम में ज्यादा पानी आएगा, तब राजस्थान को पानी दिया जाएगा. जिसकी पुष्टि स्वयं हरियाणा के मुख्यमंत्री ने 7 जनवरी को दिल्ली में हुई बैठक के बाद की है. इस समझौते में राजस्थान के हितों का सरेंडर हुआ है. सबसे बड़ी नाकामी ये है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हरियाणा की मनमर्जी के आगे घुटने टेक दिए. जल बंटवारे पर केंद्रीय जल आयोग का नियंत्रण होता है, लेकिन बावजूद इसके हरियाणा ने अपनी मर्जी से 24,000 क्यूसेक पानी तय कर लिया. जबकि पहले हरियाणा का दावा 13000 क्यूसेक पानी पर और बाद में 18000 क्यूसेक पानी पर था. राजस्थान के हितों से खिलवाड़ होने के बाद भी मुख्यमंत्री भजनलाल ने बिना सोचे समझे समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए.’
’11 महीने बाद भी सार्वजनिक नहीं हुआ MoU’
यह समझौता पूरी तरह से हरियाणा के सामने राजस्थान के हितों के साथ खिलावाड़ है. भाजपा सरकार राजनीतिक डर से 11 महीने बाद भी ना तो MoU को सार्वजनिक कर पा रही है, और ना ही जनता के सामने प्रगति रिपोर्ट पेश कर पा रही है. जबकि सरकार को 17 जून 2024 तक नई DPR बनानी थी.
‘हरियाणा में पूर्ति के बाद पानी बचा तो राजस्थान को मिलेगा’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘शेखावाटी की जनता को युमना का पानी पहुंचाने के लिए हमारी कांग्रेस सरकार ने मूल समझौते के तहत 31000 करोड़ की DPR बनाकर केंद्रीय जल आयोग को भेजी थी, लेकिन तब केंद्र की मोदी सरकार ने परियोजना को आगे बढ़ने नहीं दिया. 1994 के मूल समझौते के अनुसार, राजस्थान के तीन जिलों को 1.19 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना था. साथ ही मूल समझौते के अनुसार, सभी राज्यों को Pro Rata Basis यानी पानी की उपलब्धता के अनुपात के अनुसार पानी मिलना था. जबकि प्रदेश की भाजपा सरकार के नए समझौते में पहले हरियाणा अपने हितों की पालना करेगा और फिर अतिरिक्त पानी बचा तो राजस्थान को देगा, जो कि राजस्थान की जनता के साथ छल है.’
17 फरवरी 2024 को क्या समझौता हुआ था?
17 फरवरी 2024 को दिल्ली में तत्कालीन हरियाणा सीएम मनोहर लाल खट्टर और वर्तमान राजस्थान सीएम भजनलाल शर्मा ने तत्कालीन केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में यमुना जल समझौते पर साइन किया था. इसके अनुसार, राजस्थान के सीकर, चूरू, झुंझुनू जिले को 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना तय था. इसके लिए राजस्थान सरकार ने 14 मार्च को टास्क फोर्स का गठन भी कर दिया था. लेकिन हरियाणा ने अभी तक ऐसा नहीं किया है.