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राजगढ़ जिले की एक अदालत ने बलात्कार के आरोपों से एक पूर्व पार्षद को बरी कर दिया है, क्योंकि पाया गया कि शिकायतकर्ता ने आरोप इसलिए लगाए क्योंकि उसकी शिकायत के कारण उसका घर ढहा दिया गया था।
मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले की एक सत्र अदालत ने पूर्व वार्ड पार्षद शफीक अंसारी को बलात्कार के एक मामले में बरी कर दिया है। द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अदालत ने पाया कि महिला ने आरोप इसलिए लगाए क्योंकि उसकी शिकायत के आधार पर उसका घर गिरा दिया गया था। बलात्कार की शिकायत के बाद स्थानीय अधिकारियों ने शफीक अंसारी के घर को भी गिरा दिया था।
कोर्ट के सामने आई सच्चाई
राजगढ़ जिले के प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चित्रेंद्र सिंह सोलंकी ने पाया कि महिला और उसके पति की गवाही में काफी विसंगतियां हैं। अदालत ने 14 फरवरी को दिए अपने फैसले में कहा कि पीड़िता का आरोपी शफीक अंसारी के घर पर मौजूद होना ही संदिग्ध है। आरोपी द्वारा पीड़िता के साथ यौन संबंध बनाने का दावा चिकित्सा या वैज्ञानिक साक्ष्यों से पुष्ट नहीं होता है। पीड़िता ने अपने पति को घटना के बारे में देरी से सूचित करने या रिपोर्ट दर्ज करने में देरी के लिए कोई संतोषजनक कारण नहीं बताया है। महिला ने लगाया था ये आरोप
अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि 4 फरवरी, 2021 को अंसारी ने महिला को उसके बेटे की शादी में मदद करने के बहाने अपने घर बुलाया और उसके साथ बलात्कार किया। उसके बेटे और उसके भाई पर अंसारी को शरण देने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। बलात्कार के आरोपों से पहले नगर निगम के अधिकारियों ने अतिक्रमण के कारण महिला के घर को ध्वस्त कर दिया था। उसके पड़ोसियों ने भी उसके खिलाफ शिकायत की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि “उस घर में मादक पदार्थों का अवैध व्यापार किया जा रहा था।
कोर्ट ने किया इंसाफ
अदालत ने माना कि अंसारी एक वार्ड पार्षद रहे हैं और नगर निगम ने अंसारी और इलाके के निवासियों के कहने पर उसके (महिला के) घर को ध्वस्त कर दिया। इससे पता चलता है कि पीड़िता ने अपने घर को ध्वस्त किए जाने के कारण शफीक अंसारी के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराई। नतीजतन, यह साबित नहीं होता है कि आरोपी शफीक अंसारी ने पीड़िता को गलत तरीके से रोका, उसके साथ बलात्कार किया, या उसे जान से मारने की धमकी दी।