बिलासपुर के आयुर्वेद विभाग में 11 पदों पर हुई फर्जी नियुक्ति

आयुर्वेद विभाग में चतुर्थ श्रेणी के 11 पदों पर फर्जी भर्ती करने का मामला सामने आया है। इन अभ्यर्थियों ने पहले शिक्षा विभाग से आठवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसमें अंक कम आने पर समतुल्यता परीक्षा दिलाकर अधिक अंक अर्जित कर लिया।

नियम के अनुसार, नियुक्ति के दौरान इन्हें शपथ पत्र पेश करना था, जिसमें बताना था कि समतुल्यता के पूर्व हमने आठवीं की परीक्षा और कहीं नहीं दिलाई है। शपथ पत्र पेश न करने से इनकी पूरी नियुक्ति फर्जी हो गई है। वर्तमान में सभी कर्मचारी आयुर्वेद कॉलेज में पदस्थ हैं।

आयुर्वेद विभाग में 2013-14 में चतुर्थ श्रेणी के वार्ड ब्वॉय, चौकीदार, आया समेत अन्य पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसमें प्रदीप कुमार जायसवाल, महावीर साहू समेत अन्य ने आवेदन जमा किया था। आठवीं के आधार पर मेरिट लिस्ट से चयन होना था।

इसलिए फर्जी हो गई है नियुक्ति

इन सभी 11 अभ्यर्थियों ने आठवीं की समतुल्यता परीक्षा की अंकसूची पेश की थी। इसमें उनका प्रतिशत 95 से लेकर 98 तक है। प्रतिशत अधिक होने के कारण रिक्त पदों पर इनकी नियुक्ति हो गई। कायदे से इन सभी अभ्यर्थियों को एक शपथ पत्र देना था।

इसमें उल्लेख करना था कि इसके पूर्व में हमने आठवीं की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। जानकारी छिपाने पर नियुक्ति फर्जी मानी जाएगी। पड़ताल में सामने आया है कि किसी भी अभ्यर्थी ने शपथ पत्र पेश नहीं किया है। इससे नियुक्ति फर्जी है।

विभाग के अधिकारी मामले को दबाने में जुटे

नियुक्ति में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद भी आयुर्वेद कॉलेज के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। एक अभ्यर्थी महावीर साहू के खिलाफ जांच शुरू की गई। इसके लिए टीम भी बनाई गई थी। यह जांच बीते कई महीनों से चल रही है। अभी तक जांच रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे में अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

क्या है नियम

समतुल्यता की अंकसूची किसी भी भर्ती में जमा करने से पहले संबंधित विभाग को शपथ पत्र पेश देना होता है। इसमें जानकारी दी जाती है कि इसके पूर्व मैंने इसकी समकक्ष परीक्षा नहीं दिलाई है। अगर मेरी ओर से गलत जानकारी मिलेगी, तो नियुक्ति रद कर दी जाएगी।

आयुर्वेद विभाग में नियुक्ति से पहले सभी 11 अभ्यर्थियों को शपथ पत्र में जानकारी देनी थी। मगर, किसी ने भी शपथ पेश नहीं किया है।

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