प्रदूषण में बेलगाम कारखानों पर चलेगा चाबुक, हर जिले में ऑफिस और तेजतर्रार टीम कसेगी शिकंजा

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदूषण के खिलाफ महाजंग का ऐलान किया है. हर जिले में प्रदूषण फैला रहे उद्योग-कारखानों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय खोले जाएंगे. मंडल स्तर पर रीजनल ऑफिस बनाए जाएंगे. उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सुधार के लिए यह कदम उठाया गया है. बोर्ड में ठोस-तरल कचरे, बायो वेस्ट के निस्तारण के लिए स्थानीय स्तर पर नीति बनाई जाएगी.लाल-नारंगी ग्रीन कैटेगरी के लिए एनओसी का निपटारा 4 महीने से घटाकर क्रमशः 40, 25 और 10 दिनों में करने का निर्देश सीएम ने दिया है. बोर्ड में खाली पदों पर जल्द भर्ती भी की जाएगी

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का पुनर्गठन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का पुनर्गठन होगा. 1995 में गठन के बाद से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गतिविधियों और जिम्मेदारियों में बड़ा बदलाव आया है.मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के 75 ज़िलों में 28 रीजनल ऑफिस हैं. इनको 18 जोन लेवल पर पुनर्गठित किया जाएगा. हर जिले में एक-एक कार्यालय होगा. जिन जोन में औद्योगिक गतिविधियां ज्यादा हैं, वहां एक से अधिक क्षेत्रीय कार्यालय हो सकते हैं

कचरे के निपटारे के लिए विशेषज्ञों की मदद
मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण की नई चुनौतियों को देखते हुए ठोस और तरल कचरे के निपटारे, ई-वेस्ट, बायोमेडिकल वेस्ट सेल बनाई जाए.जनता की शिकायत पर कार्रवाई, अनुसंधान एवं विकास के साथ आईटी-आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिए विशेष यूनिट बनाई जाए. मुख्यमंत्री ने उद्योगों से संबंधित अनापत्ति आवेदन (CTO/CTE) निस्तारण की अवधि कम करने पर जोर दिया

खाली पद भरे जाएं
उन्होंने खाली पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाने को कहा. आईआईटी आदि प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों के दक्ष युवाओं को अच्छे पैकेज पर नियुक्ति देने को कहा. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अनापत्ति एवं सहमति शुल्क में वर्ष 2008 के बाद कोई बदलाव नहीं हुआ है. बोर्ड गहन चर्चा कर आवश्यक बदलाव इसमें भी लाए

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