दिल्ली को नए CM के लिए और करना पड़ेगा इंतजार, टल गई BJP विधायकों की बैठक; इन नामों पर चर्चा तेज

दिल्ली की सत्ता में बीजेपी ने 27 साल बाद शानदार वापसी की है. जहां बीजेपी को 70 सीटों में से 48 पर जीत मिली, वहीं आम आदमी पार्टी महज 22 सीटें ही जीत पाई और उसके प्रमुख नेता भी चुनाव में हार गए. 
दिल्ली वालों को नए मुख्यमंत्री के लिए अभी और इंतजार करना होगा. भारतीय जनता पार्टी के चुने गए विधायकों की आज (सोमवार) होने वाली मीटिंग टल गई है. इसी  मीटिंग में विधायक अपना नेता चुनते और वही दिल्ली का नया मुख्यमंत्री होता. बीजेपी विधायकों की बैठक अब मंगलवार को होगी.

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बाताया कि बीजेपी के निवनिर्वाचित विधायकों की बैठक जो सोमवार को प्रस्तावित थी, उसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. सोमवार को पर्यवेक्षकों के नाम की घोषणा की जाएगी और फिर मंगलवार को विधायक दल की बैठक में नेता का चयन किया जाएगा. नए मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली के रामलीला मैदान में बुधवार को हो सकता है. जो भी विधायक दल सदन का नेता चुना जाएगा, वही दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री होगा. हालांकि यह जिम्मेदारी किसे मिलेगी, इसे लेकर अभी तक कुछ भी तय नहीं है. 

प्रवेश वर्मा का नाम सबसे आगे

दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए कई नवनिर्वाचित विधायकों के नाम चर्चा में हैं. इनमें सबसे आगे प्रवेश वर्मा का नाम चल रहा है. उन्होंने विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हराया था. वह जाट बिरादरी से आते हैं. ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में माना जा रहा है. 

दिल्ली CM के लिए चर्चा में ये नाम

इस रेस में दिल्ली बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय का नाम भी चर्चाओं में हैं. इनके अलावा पवन शर्मा, आशीष सूद, रेखा गुप्ता और शिखा राय समेत अन्य को भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है. पार्टी में कई नेताओं का मानना ​​है कि राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की तरह भाजपा नेतृत्व नवनिर्वाचित विधायकों में से किसी एक पर दांव लगा सकता है. बीजेपी ने 27 साल बाद की सत्ता में वापसी

बीजेपी ने 5 फरवरी को हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर 27 साल दिल्ली की सत्ता में वापसी की है. 8 फरवरी को आए नतीजों में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज आम आदमी पार्टी को 10 साल बाद हरा दिया. जहां बीजेपी को 70 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत मिली, वहीं आम आदमी पार्टी महज 22 सीटें ही जीत पाई और उसके प्रमुख नेता भी चुनाव में हार गए. 

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