एक वोट की कीमत बताने के लिए राजस्थान चुनाव आयोग की पहल, 18 साल से पहले युवाओं को देगी ये जिम्मेदारी

चुनावों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए पूरी ताकत से जुटे चुनाव आयोग ने अब इस दिशा में एक और बड़ी पहल की है. इसके तहत मतदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाया जाएगा जिसमें स्कूलों में ईएलसी स्थापित कर वोट का महत्व समझाया जाए

राजस्थान निर्वाचन विभाग ने नए युवा छात्रों को लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया के बारे में शिक्षित करने और उन्हें चुनाव में उनकी भागीदारी का महत्व बताने के लिए अभियान शुरू किया है. इसके तहत अब वह स्कूलों में पढ़ रहे भावी मतदाताओं को तैयार करेगा. इसके जरिए राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में मतदाता साक्षरता क्लब (ईएलसी) स्थापित करने का अभियान शुरू किया गया है. जिसकी शुरुआत सोमवार से हो गई है. यह पहल देश के चुनाव आयोग और शिक्षा मंत्रालय के बीच हुए समझौता ज्ञापन (MOU) के अनुरूप की गई है

लोकतंत्र में बच्चों के लिए वोट देना क्यों महत्वपूर्ण है?

राज्य निर्वाचन आयोग ने सोमवार (17 फरवरी) को मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने स्कूल शिक्षा विभाग-माध्यमिक शिक्षा निदेशालय, बीकानेर के सहयोग से ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर पीईईओ, यूसीईईओ, ईएलसी का काम बेहतर तरीके से करवाने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) विकसित की है. इस पहल के तहत 18 वर्ष की आयु पूरी करने से पहले बच्चों को लोकतंत्र के लिए मतदान क्यों जरूरी है, इसकी जानकारी दी जाएगी. साथ ही मतदाता बनने के लिए क्या कदम उठाने होंगे, समेत कई अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाएंगी

मतदान करने के लिए  रहे तैयार 

“कोई भी मतदाता पीछे न छूटे” के लक्ष्य के अनुरूप, छात्रों को चार साल की मतदाता पात्रता तिथियों – 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर – के बारे में सूचित किया जा रहा है, जिससे वे 17 साल की आयु होने पर स्वयं को नए मतदाता के रूप में  पहले से रजिस्टर करा सकें. यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे 18 साल की आयु प्राप्त करने के बाद मतदान करने के लिए तैयार हैं

कौन कर रहा है इसकी निगरानी 

जिला निर्वाचन कार्यालय शाला दर्पण पोर्टल और निजी विद्यालय पोर्टल के माध्यम से भी ईएलसी से संबंधित डेटा की ऑनलाइन निगरानी की जा रही ह. साथ ही, विद्यालयों में ईएलसी के माध्यम से चुनाव आयोग के जरिए निर्धारित नाटक, भाषण, गीत, कविताएं और मतदान शपथ जैसी आकर्षक गतिविधियों के माध्यम से नैतिक मतदान को बढ़ावा दिया जाएगा. इसके अलावा, विद्यार्थियों को लोकतंत्र, चुनावी प्रक्रिया और आदर्श आचार संहिता के बारे में जागरूक किया जाएगा. इसके अलावा, नई एसओपी के अनुसार, शिक्षा विभाग अगले शैक्षणिक सत्र से अपने शिविरा कैलेंडर में ईएलसी गतिविधियों को शामिल करेगा. साथ ही, सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले ईआरओ अधिकारियों और जिला निर्वाचन अधिकारियों को राज्य स्तर पर सम्मानित किया जाएगा

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