इसरो पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ एस ने बताया चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग का राज, बोले- वह जीवन का अनमोल क्षण

इसरो के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सोमनाथ एस मंगलवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बारे में कई राज खोले।

चंद्रयान-थ्री की लैंडिंग के दौरान गुरुत्वाकर्षण सबसे बड़ी चुनौती रही, जिसे इसरो ने तकनीकी नवाचारों से सफलतापूर्वक पार किया। चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग से पहले करीब दो साल तक कई बार सिमुलेशन परीक्षण किए, ताकि चंद्रमा के कम गुरुत्वाकर्षण (पृथ्वी का 1-6 भाग) के प्रभाव को समझा जा सके। इसका परिणाम रहा कि चंद्रयान-थ्री की सफलता पर पूरा देश झूम उठा, जो हमारे लिए जीवन का सबसे अनमोल और गौरवमयी क्षण रहा। 

ये अनुभव इसरो के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सोमनाथ एस ने विशेष बातचीत के दौरान व्यक्त किए। वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंचे थे। इस दौरान उन्हें अंतरिक्ष के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर डी लिट की मानद उपाधि से भी नवाजा गया, जिससे वे गदगद हो उठे। उन्होंने कहा कि ये पल उनके जीवन के गौरवपूर्ण रहेंगे। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-2 की असफलता के दौरान जो अनुभव किया उससे सीखा और चंद्रयान-3 की सफलता के लिए पृथ्वी पर विशेष सिमुलेशन तैयार किए, जहां लैंडर को चंद्रमा जैसी गुरुत्वाकर्षण स्थितियों में परखा गया। इससे लैंडर के थ्रस्टर्स और नेविगेशन सिस्टम को सटीक बनाने में मदद मिली। 

सिमुलेशन के दौरान स्पीड कंट्रोल, धूल उठने की समस्या और गुरुत्वाकर्षण जैसी चुनौतियों का विश्लेषण किया गया। इसके सेंसर और कैमरों को विशेष रूप से डिजाइन किया गया था ताकि लैंडिंग के दौरान उठने वाली धूल से कोई बाधा न हो। इन परीक्षणों का परिणाम रहा कि ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला देश बन गया, जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने युवाओं को अंतरिक्ष क्षेत्र में रुझान बढ़ाते हुए कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया और विकसित भारत बनाने में अपना सहयोग देने के लिए कहा।

2040 तक भारत अंतरिक्ष स्टेशन करेगा स्थापित : डॉ. सोमनाथ
वैज्ञानिक डॉ. एस सोमनाथ ने कहा कि 2040 तक भारत अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा। चंद्रयान-3 की लैंडिंग से स्पेस क्षेत्र में भारत विश्व का अग्रणी देश बनेगा। अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का भविष्य उज्ज्वल है। आज भारतीय वैज्ञानिक पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलवीएमथ्री व एसएसएलवी रॉकेट एवं उपग्रह निर्माण कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में भारत 2047 तक भारतीय अंतरिक्ष विजन को प्राप्त करेगा। 

अंतरिक्ष क्षेत्र में युवाओं के भविष्य पर दी जानकारी
डॉ. एस सोमनाथ ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों के विकास, लक्ष्यों एवं भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी तथा बताया कि वैज्ञानिकों ने विज्ञान, इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर इस क्षेत्र में देश में विकसित कर पूर्ण सफलता प्राप्त की है। इसरो के विभिन्न मिशन चंद्रयान-4, जिसमें चंद्रमा पर जाकर सैंपल लेकर वापस धरती पर आने और चंद्रयान-पांच, जिसमें मानव मिशन में चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट के लैंडिंग, अंतरिक्ष स्टेशन, स्पेस डॉकिंग के बारे में विद्यार्थियों को बताया। उन्होंने सेटेलाइट व स्पेस प्रोग्राम के कम्युनिकेशन, नेविगेशन, इन्वायरमेंट, क्लाइमेट चेंज, मरिन फिशिंग वैस्सल में उपयोगिता व स्टार्टअप क्षेत्र में युवाओं के भविष्य के बारे में जानकारी साझा की।

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